सोमवार, 24 जुलाई 2017

पेट का अनावश्‍यक मोटापा

                     पेट का अनावश्‍यक मोटापा

     

जापान , चीन एंव अन्‍य पश्चिमी देशों में प्राकृतिक चिकित्‍सकों द्वारा पेट के अनावश्‍यक मोटापे को कम करने के लिये कई विधियॉ अपनाई जाती है । उनमें से प्रमुख है पेट पर आडी रेखा में नाभी के बीचों बीच से होते हुऐ एक नाडे या इलैस्टिक को बॉधना प्रमुख है । यह विधि चीन , जापान व अन्‍य पश्चिमी राष्‍ट्रों में काफी प्रचलित है । कई मिसाज उपचारकर्ताओं द्वारा पेट के मिसाज विधि से भी पेट के मोटापे को कम किया जाता है । सेल्‍युलाइट वसा कोशिकाओं की परते होती है , ये त्‍वचा के नीचे पाये जाने वाले उन ऊतकों में पायी जाती है ,जो अन्‍य ऊतकों व अंगों को सहारा देती है और जोडती है । यह वसा अधिकतर महिलाओं के जांधो व नितम्‍बों पर जमा होती है । ऐसे पुरूष तथा महिलाये जो सामान्‍यत: अरामतलब जिन्‍दगी बसर करती है उनके पेट पर अनावश्‍यक चर्बी के जमने के कारण पेट पर अनावश्‍यक मोटापा देखा जाता है । पेट के मोटापा को बिना किसी दबा दारू के कम करने की यह विधि काफी कारगर साबित हुई है । इस उपचार विधि का प्रयोग प्राकृतिक उपचारकर्ताओं द्वारा बडे ही विश्‍वास के साथ किया जा रहा है जिसके बडे ही आशानुरूप परिणाम भी मिले है । जन सामान्‍य स्‍वंय इस उपचार विधि का प्रयोग कर उचित परिणाम प्राप्‍त कर सकते है ।


विधि:- पेट के अनावश्‍य मोटापे को कम करने के लिये आप को एक नाडा या आज कल बाजारों में रबड या इलैस्टिक मिलती है उसे नाभी से पेट पर आडी रेखा में बॉधना है । इसके नाभी से पेट पर आडी रेखा में बॉधने का मूल उदेश्‍य यह है कि इसे इतना दबाब देते हुऐ बॉधे ताकि पेट पर किसी प्रकार की परेशानी न हो पेट पर पाये जाने वाले एस टी-25 बिन्‍दू इस दबाब की वजह से सक्रिय हो जाते है । एक्‍युपंचर चिकित्‍सक इस एसटी-25 पाईट पर एक्‍युपंचर की बारीक सूईयॉ चुभा कर उपचार करते है एक्‍युप्रेशर चिकित्‍सक इस पाईन्‍ट पर गहरा दबाब देकर पेट के अनावश्‍यक मोटापा को कम करते है । पेट व नाभी से आडी रेखा में नाडे के दबाब से पेट की अनावश्‍यक चर्बी धीरे धीरे कम होने लगती है इस नाडे को पेट पर लम्‍बे समय तक बॉधे रहना है इसे तीन माह से छै: माह तक बॉधने से उचित परिणाम मिलने लगते है । पेट की चर्बी कम हो जाती है एंव पेट स्‍लीम सुन्‍दर शरीर के अनुपात में आ जाता है आप भी इस सरल प्राकृतिक विधि को अपना कर अपने पेट के अनावश्‍यक मोटापे से निजात पा सकते है । 

रविवार, 9 जुलाई 2017

नाभी से चरम सुखानुभूती-असमान्‍य मनोविज्ञान-

                      असमान्‍य मनोविज्ञान-
                     नाभी से चरम सुखानुभूती
 नाभी से चरम सुख की अनुभूति प्राप्‍त करना युवा महिला पुरूष दोनो में सदियों से होता चला आया है । युवा अवस्‍था के आते ही मनुष्‍य सुख की अनुभूति की तलाश में रहता है ,इस प्रकार की सुखानुभूति का प्रमुख कारण हमारे शरीर में युवा अवस्‍था के आते ही सैक्‍स हार्मोस का निर्माण है । कामवासना की पूर्ति न होने पर विभिन्‍न प्रकार के मानसिक रोग होने लगते है । जिसके बारे में उसे स्‍वय नही मालुम होता । युवावस्‍था के आते ही युवा शारीरिक सुख की तलाश में रहता है, विरूद्ध लिंग के प्रति आकृषण एक नेचुरल प्रतिक्रिया है, परन्‍तु  समाजिक मर्यादाओं ,तथा कानूनी प्रक्रियाओं के चलते इसे आसानी से प्राप्‍त नही किया जा सकता, परन्‍तु उसे शारीरिक सुख की मॉग तो यथावत रहती है, ऐसे में यदि उसके इस शारीरिक सुख की मॉग पूरी न हुई तो वह विभिन्‍न प्रकार के उपक्रमों का सहारा लेता है जैसे स्‍वाप्रेम जिसमें युवा स्‍वंय अपने ही शरीर के अंगों से प्‍यार करता है, उसे सहलाता है विरूद्ध लिंग के शारीरिक अंगों की कल्‍पना करता है, यहॉ तक कि उसी प्रकार के  कपडे पहन कर अपने अंगों को निहारता है, फिर अंतिम चरण में हस्‍थमैथुन कर संतुष्‍टी प्राप्‍त करता है, यह एक नेचुरत प्रतिक्रिया है । परन्‍तु जब यही स्थिति बढ जाती है तब वह एक मानसिक विकार का रूप धारण कर लेती है । हमारे शारीर के बहुत से ऐसे अंग है जो अति संवेदनशील अंग कहे जाते है इन संवेदनशील अंगो को सहलाने से सुख की अनुभू‍ति होती है । इनमें नाभी भी एक ऐसा अंग है जिसके अन्‍दर के भाग को सहलाने से पूरे शरीर में सिंरहन सी दौड जाती है खॉस कर यौन अंगों में इसका अहसास होता है ।
 महिलाओं द्वारा सुखानुभूति का अहसास :- प्राय: महिलाओं पर सामाजिक बन्‍धन अधिक होता है एंव वे अपनी कामवासनाओं को दबाती रहती है, परन्‍तु युवावस्‍था के आते ही उनके शरीर के शारीरिक परिवर्तन शरीर के विभिन्‍न अंगों के उतार चढाव उन्‍हे इसका अहसास हमेशा कराते रहते है । महिलाये स्‍वंम अपने ही शरीर के ऐसी बनावट से प्रभावित हो कर उन्‍हे देखती सहलाती है एंव चाहती है कि उसे कोई देखे उसका स्‍पर्श करे परन्‍तु ऐसा संभव नही हो पाता इसलिये वे अपने इस कामवासनाओं की पूर्ति अकेले में स्‍त्रीसुलभ अंगों को देखती है उनका स्‍पर्श करती है ।
    प्राय: युवा स्‍त्रीयॉ सुखानुभूति हेतु नाभी जैसे संवेदन शील अंग को अपना टारगेट बनाती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि नाभी व नाभी के आप पास के उदर स्‍थल पर स्‍पर्श का बहुत ही सुखमय व आनन्‍ददायक प्रभाव होता है । नाभी के मध्‍य भाग में तो महीन स्‍पर्श से पूरे शरीर व गुप्‍त अंगों में सिरहन सी दौड जाती है । इसी लिये अधिकाशा युवा महिलाये जिनकी शादीयॉ नही हुई होती है या जो पुरूष स्‍पर्श से वंचित रह जाती है वे प्राय: नाभी के इस स्‍पर्श हेतु विभिन्‍न प्रकार के उपक्रमों का सहारा लेती है ।
  नाभी व उसके आस पास स्‍पर्श हेतु जीव जन्‍तुओं का सहारा :- चूंकि नाभी के मध्‍य का भाग अत्‍याधिक संवेदनशील होता है साथ ही नाभी प्रदेश का भाग जिसे हम पेट कहते है यह भी स्‍पर्श के प्रति अति संवेदनशील होता है । युवा स्‍त्रीयॉ नाभी के उपर किसी बर्तन में ऐसे कीडे मकोडे जो काटते नही है उन्‍हे भर कर नाभी पर उल्‍टा कर ढक देते है इससे उन कीडों के चलने से पेट पर गुदगुदी का अहसास होता है यदि यही कीडे नाभी के अन्‍दर के भाग पर हलचल करते है तो यह गुदगुदी का अहसास कई गुना बढ जाता है यहॉ तक कि इस सुखानुभूति के अहसास से कई महिलाओं का वीर्य निकल जाता है एंव उन्‍हे असीम सुख की अनुभूति होती है । नाभी पर प्राय: इस प्रकार के छोटे कीडों का प्रयोग करते है जो कॉटते नही हो या कॉटे भी तो उससे किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिये प्राय: काकरोज ,चिडडा , खटमल , या इसी प्रकार के छोटे नुकसान रहित कीडों का प्रयोग करती है । कुछ महिलाये तो इस चरम सुखानुभूति के अहसास के लिये अपने पेट व नाभी पर मधु मख्‍खीयों तक को बर्तन में रख कर छोड देती है वैसे मधुमख्‍खी तभी काटती है जब उसे पकडने या छेडने का प्रयास किया जाये यदि उसे पेट पर रख बर्तन से ढक दिया जाये तो वह पेट पर धुमती रहती है उसके चलने से पेट पर बारीक स्‍पर्श का अहसास होता है यदि वह नाभी के अन्‍दर गई तो फिर समक्षो की यह अहसास इतना बढ जाता है कि कभी कभी महिलाये इस परमसुख से पागल सी हो जाती है एंव नाभी के अन्‍दर मधुमख्‍खीयों को काटने के लिये उकसाती है नाभी पर मधुमख्‍खी के काटने से र्दद तो होता है परन्‍तु किसी प्रकार का नुकसान नही होता । इसी प्रकार कई इसी प्रकार के प्रकरणों में देखा गया है कि कई महिलाये इस प्रकार के स्‍पर्श सुखानुभूति के अहसास हेतु अपने पेट व नाभी पर बारीक चीटियों को किसी बर्तन में रख उल्‍टा देती है । इससे चीटियों के चलने से बारीक स्‍पर्श अनुभव होता है चीटियों का नाभी के अन्‍दर चलने के कारण जो स्‍पर्श अहसास अनुभव  होता है उससे उन्‍हे चरम संतुष्‍टी मिलती है । चीटियों का स्‍वभाव है कॉटना थोडी देर तक तो चीटियॉ पेट पर एंव नाभी के अन्‍दर चलती रहती है बाद में वह पेट की त्‍वचा व नाभी पर काटना शुरू करती है इनके कॉटने से केवल सूजन आती मामूली सा र्दद होता है परन्‍तु किसी प्रकार का कोई खॉस नुकसान होते अभी तक तो नही देखा गया है ।
बास्‍तविक घटनाये :- यहॉ पर किसी का नाम दिये बैगेर कुछ बातचीत के अंश दिये जा रहे है ।  कालेज गर्लस जो हॉस्‍टल में अपने गर्लस साथीयों के साथ रहती थी इसकी उम्र  लगभग 25 -26 वर्ष के आस पास होगी, लम्‍बे समय से घर परिवार से दूर रहना पढाई का बोझ जैसी कई मानसिक परेशानीयों के बीच ये शारीरिक सुख की तलाश में रहती परन्‍तु गर्लस हॉस्‍टल के कडी पावदियों के कारण ये लोग कुछ भी नही कर पाती थी । उन्‍होने किसी मैग्‍जीन में पढा था कि अफिका की अधिकाश ऐसी महिलाये जिनकी या तो शादीयॉ नही होती या फिर पुरूषों से वंचित रह जाती है वे अपनी कामवासना की पूर्ति हेतु पेट व नाभी पर छोटे छोटे ऐसे की‍डे जिनके चलने से नाभी व पेट पर स्‍पर्श का अहसास हो उसे किसी बर्तन में रख पेट व नाभी पर उल्‍टा देती । कीडों के चलने से पेट व नाभी पर महिन स्‍पर्श का अहसास होता जो उन्‍हे चरम सुख की अनुभूति कराता था । हॉस्‍टल की एक गर्लस ने इसे अजमाना चाहा उसने एक काकरोज पकडा पलंग पर लेट उसने अपनी  नाभी पर रखा उपर से एक खोखला बर्तन पेट पर उल्‍टा दिया । काकरोज के पेट पर चलने से उसे स्‍पर्श का सुखद अहसास हुआ वह इस अहसास को कई घंटों महसूस करती रही उसने इसकी जानकारी अपनी एक सहपाठी को दिया परन्‍तु वह काकरोज से डरती थी परन्‍तु वह इस अहसास को अजमाना चाहती थी इस लिये एक छोटी सी मछली एंव एक मेडक को एक साथ नाभी पर रख पेट पर बर्तन को उल्‍टा दिया मछली के तडपने व मेडक के चारो तरफ चलने से इतना सुखद अहसास हुआ कि थोडी ही देर में उसका वीर्य निकल गया यह बात उन्‍होने अपने अन्‍य साथीयों को बतलाई उन्‍होने भी इसे अजमाया फिर क्‍या था प्राय: हॉस्‍टल की सभी लडकीयॉ इस चरम सुख की अनुभूति हेतु अपने पेट व नाभी पर इस प्रकार की कीडों को रखने लगी एंव इसका आनन्‍द उठाने लगी । कुछ युवा गर्लस ने तो यहॉ तक की अपने पेट पर चीटियॉ एंव मधुमख्‍खीयों तक को रखा उनसे कटवाया कहते है काटने पर यह सुखानुभूति कई गुना बढ जाती है ।
एक सत्‍य वार्ता :- एक सत्‍य वार्ता परमिन्‍दर कौर बदला नाम इस महिला की उम्र 40 वर्ष के आस पास थी जो विधवा थी बच्‍चे भी नही थें कामवासनाओं की पूर्ति हेतु तडपती थी एक दिन बीमार पडने पर जब वह लेडीस डॉ0 के पास गई तो डॉ0 ने देखा कि उसकी नाभी व नाभी के चारों तरफ किसी कीडे मकोडे के कॉटने जैसे निशान है डॉ0 ने पूछा कि यह तो किसी कीडों के कॉटने के निशान है ,डॉ0 के कहने पर उसने अपना पेट कपडे से ढक लिया डॉ0 ने पूछा आप के कितने बच्‍चे है उसने कहॉ बच्‍चे नही है मै विधवा हूं , डॉ समक्ष गया यह निशान उसके अतृप्‍त कामवासना की वहज से है ,फिर डॉ0 के बार बार पूछने पर उसने बतलाया कि वह कामवासना की पूर्ति हेतु अपने पेट व नाभी पर चीटों को बर्तन से ढक कर कटवाती है उनके पेट व नाभी पर चलने से मुझे सुख की अनुभूति का अहसास होता है यहॉ तक कि यदि कोई चीटा मेरी नाभी के अन्‍दर कॉटता है तो मै पागल सी हो जाती हूं मेरा वीर्य निकल जाता है  एंव इस समय मुझे पूर्ण संतुष्टि प्राप्‍त होती है । मैने तो मधु मख्‍खीयों तक से नाभी के अन्‍दर कटवाया है मधुमख्‍खीयों का नाभी के अन्‍दर कॉटने से मुझे पूर्ण संतुष्‍टी का अहसास होता है । क्‍योकि नाभी के अन्‍दर कॉटने से मेरे गुप्‍त अंगों में हलचल सी मच जाती है पूरे शरीर में सिंरहन सी होने लगती है डॉ0 ने पूछा आप को किसी पुरूष का साथ नही मिलता क्‍या ? उसका जबाब था हॉ मिलता है परन्‍तु उससे मुक्षे उतना आनन्‍द नही आता जितना मै नाभी व पेट पर किसी कीडे मकोडों के चलने से होता है यहॉ तक कि नाभी के अन्‍दर चीटी मधुमख्‍खीयों के कॉटने पर तो मै पागल सी हो जाती हूं मुक्षे चरम संतुष्‍टी का अहसास होता है । इस प्रकार के सुखानुभूति का उदाहरण यदि हो तो कमेन्‍ट कॉलम में अवश्‍य दीजियेगा । 

असमान्‍य मनोविज्ञान

शुक्रवार, 16 जून 2017

नेवेल कार्क से नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाना

                   नेवेल कार्क से नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाना

   महिलाओं में नाभी र्दशना वस्‍त्रों के पहनने के कारण गहरी नाभी का महत्‍व काफी बढ गया है । नाभी को आकार में कुछ चौडा एंव गहरा कराने हेतु नीशेप पार्लर में नेवेल कार्क एंव नेवेल स्प्रिंग की सहायता से गहरा बिना किसी आपरेशन के आसानी से किया जाता है । गहरी नाभी की बात ही कुछ और होती है , वही सकरी या फिर कम गहरी नाभी देखने में सुन्दर नही दिखती , नाभी को गहरा करने के लिये उपयोग में आने वाले कार्क को नेवेल कार्क कहते है । नेवेल कार्क एक साधरण सा कार्क है जिसे नाभी के अन्‍दर डाला जाता है ताकि नियमित रूप से कार्क के दबाब के कारण वहॉ के मसल्‍स अन्‍दर की ओर धस जाते है इससे नाभी एक गहरा आकार ले लेती है । नेवेल कार्क उपलब्‍ध न हो तो इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है ।


नेवेल कार्क बनाने की विधि :- नेवेल कार्क बनाना बहुत ही आसान है , इसे केवल इस प्रकार से बनाना होता है जिसमें नाभी पर नियमित दबाब बना रहे ताकि कार्क के दबाब के कारण नाभी अन्‍दर को दब जाये जिससे नाभी के अन्‍दर के मसल्‍स दबकर एक निश्चित आकर ले लेते है । नेवेल कार्क को बनाने के लिय बजार से जिस साईज की नाभी को आकार व गहराई देना हो उस साईज के प्‍लास्टिक के मोती को खरीद ले या फिर बच्‍चे जो कॉच की गोलीयॉ खेलते है इसे ले ले दोनो ही बजार में अलग अलग साईज के आसानी से उपलब्‍ध हो जाते है । इसके बाद इसे फिट करने के लिये आप एक रूपये साईज के सिक्‍के की साईज का या इससे थोडी बडे साईज एल्‍युमिनियम के गोल साईज का वृत के आकार की बस्‍तु को ले जिसके बीचों बीच एक छोटा सा छिद्र ताकि उसके उपर प्‍लास्टिक के मोती या कॉच की गोली को आसानी से इस प्रकार रखा जा सके ताकि वह इधर उधर गिरे नही । अब इसे आप क्‍युफिक्‍स या बजार में प्‍लास्टिक को चिपकाने वाले जो पदार्थ मिलते है उससे उसे उस जगह पर लगा कर चिपका दे बस आप का नेवेल कार्क तैयार हो गया । इस चित्र में देखिये आप को सारी जानकारीयॉ हो जायेगी ।

इस प्रकार से आप घर पर नेवेल कार्क को आसानी से बना सकते है । यहॉ पर जो चित्र दिया है उसमें एल्‍युमोनियम की एक गोल प्‍लेट है जिसके छिद्र पर प्‍लास्टिक के मोती को चिपका दिया गया है । आप चाहे तो इसकी जगह कॉच की गोली को भी चिपका सकते है कॉच की गोली की चिकनी होती है इससे त्‍वचा पर किसी प्रकार के निशान आदि बनने की संभावना कम होती है ।
नेवेल कार्क का उपयोग :-  नेवेल कार्क का उदेश्‍य केवल इतना होता है कि वह नाभी पर दबाब बना सके इस दबाब की बजह से नाभी का आकार एंव गहराई इसके नियमित कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बढ जाती है । अब आप को इसे नाभी पर इस प्रकार से लगाना है ताकि प्‍लास्टिक या कॉच की गोली नाभी के अन्‍दर हो एंव एलुमोनियम प्‍लेट बाहर की तरफ अब इसे अंगुलिये से इतना दबाये ताकि कार्क याने प्‍लास्टिक या कॉच की गोली नाभी के अन्‍दर पूरी तरह से फिट हो जाये । यह गिरे नही इसके लिये आप धॉव पर लगाने बाली बैंडेज जो चिपकती है उसे इस प्रकार से लगाये ताकि वह नाभी के पास की त्‍वचा पर इस प्रकार से चिपक जाये ताकि यह कार्क गिरे नही । नियमित कुछ दिनों तक इसी प्रकार से अपनी सुविधानुसार इसे लगाते रहे । जब नाभी गहरी हो जाये एंव आकार में गोल चौडी हो जाये तो आप चाहे कि इसकी गहराई और आकार को और बडी करना है तो आप उस साईज के कार्क का उपयोग कर सकते है । आप अपने नीशेप पार्लर में इस प्रकार के कार्क को बना कर बेच भी सकते है यह बनाने में बहुत आसान है तथा इसका मूल्‍य आप को आप के मन के मुताबिक नाभी पर लगाने पर मिल सकता है । नेवेल कार्क का प्रयोग नियमिल लम्‍बे समय तक करने से नाभी का आकार स्‍थाई रूप से गहरा हो जाता है । 

  आज कल युवा महिलाओं में नाभी र्दशना वस्‍त्रों के पहने के कारण गहरी नाभी का अधिक महत्‍व बढा है हर महिला चाहती है कि उसकी नाभी गहरी सुन्‍दर हो परन्‍तु सभी महिलाओं की नाभी गहरी सुन्‍दर नही होती । कई महिलाओं की नाभी ,सकरी ,कम गहरी , फिर उसमें नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है इससे नाभी का सौन्द्धर्य जाता रहता है गहरी नाभी ही सुन्‍दर नाभी होती है ।
आज कल फैशनपरास्‍ती परिवारों में छोटी बच्‍चीयों की नाभी की तरफ ध्‍यान दिया जाने लगा है इसलिये वे बच्‍चीयों की नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाने के लिये पहले से ही नेवेल कार्क या नेवेल स्प्रिंग का उपयोग करने लगी है । नाभी को गहरा सुन्‍दर आकार देने का कार्य नी शेप पार्लर या नेवेल क्‍लीनिक में होता है ।
सावधानीया:- 1- नेवेल कार्क की साईज इतनी होना चाहिये ताकि नाभी पर लगाने में आसानी से नाभी के अन्‍दर चली जाये , कार्क इस प्रकार का ना हो जिससे त्‍वचा आदि छिले , कार्क को व नाभी को दो तीन दिन बाद निकालते रहना चा‍हिये एंव सफाई करते रहना चाहिये ।

 2- कार्क को चिपकाने वाले बैन्‍डेज मेडिकेटेड होना चाहिये तथा इसे खीच कर इस प्रकार से न लगाये जिससे त्‍वचा में अनावश्‍यक खिचाव हो यदि खीच कर चिपकाया जाता है तो इससे नाभी के आस पास की त्‍वचा पर झुरूरीयॉ पड सकती है जिससे वहॉ की त्‍वचा एकदम खराब दिखेगी । इसलिये हमेशा इस बात को ध्‍यान में रखते हुऐ इसे चिपकाये । चिपकने वाले बैंडेज को लगाने का केवल इतना उदेश्‍य होता है ताकि कार्क गिरे नही । कार्क को चिपकाने के बाद कार्क के उपर से आप जो भी वस्‍त्र पहनते है उसे कार्क की प्‍लेट के उपर रखे ताकि कार्क गिरे नही एंव कार्क पर नियमित दबाब बना रहे । आप चाहे तो उपर से रिबिन आदि भी बॉध सकते है इससे एक तो कार्क गिरेगा नही दूसरा कार्क पर नियमित दबाब बना रहेगा इस दबा की वजह से नाभी को गहरा होने में मदद मिलेगी ।  

नेवेल कार्क को नाभी के अन्‍दर लगा कर उसे इस प्रकार से किसी चिपकने वाले बैन्‍डेज से चिपका देते है । नीशेप क्‍लीनिक के नि:शुल्‍क पत्राचार प्रशिक्षण की जानकारीयॉ इन साईड पर उपलब्‍ध है
http://beautyclinict.blogspot.in/
 nabhi-22.blogspot.in
nidhishriwash.blogspot.in
neeshep.blogspot.com
  battely2.blogspot.com

सोमवार, 12 जून 2017

पेट एंव नाभी को आकृषक बनाना

      पेट एंव नाभी को आकृषक बनाना
          महिलाओं की सुन्‍दरता में समतल पेट पर झील सी बल खाती गहरी नाभी का अपना एक अलग ही महत्‍व है, जिसका वर्णन कवि कालीदास ने अपने गृन्‍थ में कुछ इस प्रकार से किया है , कटि मध्‍य ,समतल उदर पर झील सी बल खाती गहरी नाभी, उन्‍नत उरोज, पुष्‍ट नितम्‍ब प्रदेश, पुष्‍ट स्‍वस्‍थ्‍य जंधायें किसी सुन्‍दर महिला के शरीर के ये उतार चढाव उसके सौन्‍र्द्धय में चार चॉद लगा देते है ।  
                     
  



                        यही है ईश्‍वर की अद्वितिय रचना जिसे बार बार देखने पर भी मन
ही भरता । कहने का सीधा सा अर्थ है किसी भी महिला में स्‍वस्‍थ्‍य पुष्‍ट नितम्‍ब (कुल्‍हे) ,उन्‍नत उरोज(स्‍तन) तथा समतल पेट पर झील की तरह से गहरी नाभी होना चाहिये । शरीर के यह उतार चढाव उसके सौन्‍र्द्धय को कई गुना अधिक बढा देते है । खॉस कर ऐसी युवा महिलाये जो माडलिंग से जुडी है  या फिल्‍म लाईन टेलीवीजन या फिर डॉस प्रोग्राम आदि करती है उनके लिये तो गहरी नाभी एंव नाभी बल का अपना विशेष महत्‍व है क्‍योकि जब वे प्रफामेन्‍श करती है तब लाखों र्दशकों की नजर उन पर होती है ऐसे में यदि किसी महिला की नाभी जख्‍म की तरह , कम गहरी या डण्ठल की तरह से बाहर को निकली हुई है ऐसे में उसके पेट को सौन्‍र्द्धय तो गया कभी कभी कुछ युवा महिलाओं का पेट मर्दो की तरह से सपाट या फिर एक सा होता है जिसमें स्‍त्री सुलभ आकृषण नही होता , महिलाओं के पेट की बनावट इस प्रकार होनी चाहिये जिसमें स्‍त्रीय सुलभ आकृषण प्रथम दृश्‍या ही दिखे ।  ब्‍युटी क्‍लीनिक की एक शाखा है जिसे नीशेप क्‍लीनिक भी कहॉ जाता है, इसमें वैसे तो केवल पेट केा सैक्‍सी तथा नाभी को गहरा आकृषक बनाया जाता है । परन्‍तु अब इसमें कुल्‍हे एंव स्‍तनों को भी आकार में गोल पुष्‍ट कपिंग प्रक्रिया से बनाया जाने लगा है ।






















            पेट व नाभी को आकृषक बनाना:-
कई महिलाओं का पेट एंव नाभी का आकार आकृषक सैक्‍सी नही होती । कुछ महिलाओ का पेट एकदम चिपका हुआ या फिर मर्दो की तरह, एक सा होता है , इसी प्रकार उनकी नाभी गहरी न होकर बाहर को निकली हुई या फिर किसी जख्‍म की तरह से दिखती है, इस प्रकार के पेट व नाभी के आकार प्रकार उसके उतार चढाओं में सौन्‍द्धर्य नही होता, इस प्रकार के पेट व नाभी को देख कर पुरूष आकृषित नही होते । पुरूष के आकृषण में गहरी नाभी तथा मुलायम पेट, जिस पर नाभी बल पडते हो या फिर पेट तथा नाभी का उतार चढाव इस प्रकार होना चाहिये कि देखने वाले को लगे की समतल मुलायम पेट पर झील की तरह से बल खाती गहरी नाभी है, जिसे देखने एंव स्‍पर्श करने की इक्‍छा जागृत होने लगे । झील की तरह बल खाते पेट पर गहरी नाभी, पतली कमर, उस पर उन्‍नत उरोज (स्‍तन) पुष्‍ट उन्‍नत नितम्‍ब (भरे हुऐ कुल्‍हे) में इतना आकृषण होता है कि वह किसी भी उम्र के पुरूषों को  क्‍या महिलाओं तक को अपनी तरफ सम्‍मोहित कर सकती है । पेट को समतल एंव झील की तरह या नाभी पर नाभी बल आसानी से बनाया जा सकता है, इसी प्रकार ऐसी महिलायें जिनकी नाभी कम गहरी या जख्‍म की तरह से दिखती है या उस पर नाभी धारियॉ स्‍पष्‍ट दिखलाई देती है । उसे गहरा आकृषक थोडे से प्रयासों से बनाया जा सकता है । नीशेप क्‍लीनिक में नेवेल कार्क ,नेवेल स्प्रिंग की सहायता से नाभी को गहरा आकृषक बनाया जाता है । जिसका उल्‍लेख नेवल कार्क तथा नेवल स्प्रिग से नाभी को आकृषक बनाने में दिया गया है । यहॉ पर पेट को मुलायम आकृषक बनाने के बारे में बतलाया जा रहा है । पेट पर नाभी से आडी रेखा में बल पडने से नाभी जहॉ गहरी दिखने लगती है वही पेट पर बल खाती इस रेखा को नाभी बल कहते है इस नाभी बल के पडने से पेट आकृषक दिखने लगता है । पेट की बनावट कुछ इस प्रकार से होना चाहिये , नाभी के नीचे जिसे हम तल पेट कहते है, यह यदि नाभी से उपर के पेट से कुछ उभरा हुआ है तो इससे नाभी गहरी दिखती है , परन्‍तु प्राय: नाभी के नीचे से कपडे पहनने के कारण यह तल पेट उपर की अपेक्षा कुछ दबा जाता है इससे पेट का आकृषण कम हो जाता है । आजकल प्राय: महिलाये अपने पेट पर नाभी बल बनाने का प्रयास करती है, इसके लिये सर्वप्रथम नाभी से तीन इंच नीचे वस्‍त्र को बॉधे साथ में नाभी के बीचों बीच से एक नाडा या इलैस्‍टीक (रबड) को पेट पर नाभी से होते हुऐ पहने । परन्‍तु इससे पहनने या नाडे को बॉधते समय इस बात का विषय ध्‍यान रखे की इससे पेट पर इतना ही कसाब हो, जिससे आप को किसी प्रकार की परेशानी न हो अर्थात उसे अधक कस कर न पहने । इसे नियमित पेट पर पहनने से नाभी पर कुछ ही दिनों में बल रेखा बन जायेगी । वैसे तो इसे तीस दिन से लेकर दो माह तक लगातार पहनने से उचित परिणाम मिलने लगते है  साथ ही तल पेट जो दबा हुआ है उसे उभारने हेतु का कपिंग यंत्र का भी प्रयोग कर सकते है यदि कपिंग यत्र नही है तो आप को जितना तल पेट याने नाभी के नीचे के पेट को जितना उभारना हो उतने भाग के नीचे से कपडे को पहने एंव उस कपडे के कसाब को पहले के अपेक्षा कुछ बढा दीजिये या फिर नाड या इलैस्‍टक को जितने नीचे से आप बॉधना चाहे, बॉधे इससे नाभी पर बॉधे नाडे या इलैस्‍टक तथा तलपेट पर नीचे बॉधे नाडे या इलैस्‍टक के दोनो दबाब की बजह से तल पेट के मसल्‍स उभर जायेगे । इसे ठीक उसी स्‍थान पर नियमित लम्‍बे समय तक  बॉधने से  तल पेट पर उभार आ जाता है तथा नाभी पर नियमित दबाब से वह अन्‍दर की तरफ दब जाती है तथा नाभी से लेकर पेट के सामने के उभार पर एक गहरी दबी हुई  रेखा बन जाती है । पेट पर इस कसाव की वहज से कमर पतली हो जाती एंव पेट भी नही बढता । प्राकृतिक उपचार में पेट के मोटापा को कम करने में इस विधि का प्रयोग बडे ही आशा और विश्‍वास के साथ किया जा रहा है एंव इसके बडे ही अच्‍छे परिणाम मिले है । यह तो बात हुई नाभी पर बल बनाने की एंव तल पेट को उभारने की इसके साथ यदि आप नाभी को गहरा करना चाहते हो तो नेवेल कार्क जो एक साधारण सा नाभी के आकार व गहराई का कार्क होता है उसे आप इलैस्‍टक पहनते समय नाभी पर लगा दीजिये कार्क के नियमित दबाब से नाभी भी कार्क के आकार की गहरी हो जायेगी । नेवल कार्क आप घर पर भी बना सकते है इसके लिये आप नाभी की साईज का एक मोती ले तथा उसे एक रूपये के सिक्‍के के आकार की प्‍लेट पर अच्‍छी तरह से चिपका दीजिये आप का नेवल कार्क तैयार है परन्‍तु यदि आप की नाभी पहले से ही कम गहरी है तो कार्क खिसक जायेगा इसलिये इस पर बैन्‍डेज जो रोल में आते है उसे मोती के उपर जिस भाग को आप नाभी पर रखे उस पर कॉट कर चिपका दीजिये चूंकि ऐसा करने से कार्क खिसकता नही है ।  
इससे सम्‍बन्धित अधिक जानकारी के लिये आप ब्‍युटी क्‍लीनिक या नीशेप क्‍लीनिक की इन साईडों पर पूरी जानकारी देख सकते है या नि:शुल्‍क ब्‍युटी क्‍लीनिक पाठयक्रमों की साईड से भी जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकते है । यहॉ पर हम कुछ साईड व मेल ऐड्रस दे रहे है आप उनसे जानकारी प्राप्‍त कर सकते है ।
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शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

नेवल स्प्रिंग से नाभी के आकार को सुन्‍दर लुक देना

      नेवल स्प्रिंग से नाभी के आकार को सुन्‍दर लुक देना
आज कल महिलाओं में गहरी एंव आकार में गोल चौडी नाभी का महत्‍व बढते जा रहा है युवा महिलाओं में नाभी प्रर्दशन का फैशन तेजी से बढते जा रहा है । नीशेप क्‍लीनिक या नीशेप पार्लर में नाभी को गहरा गोल आकृषक लुक दिया जाता है । नी शेप पार्लर आज के समय में एक लाभ का व्‍यवसाय बनते जा रहा है । इस व्‍यवसाय में पूजीं निवेश कम होने के साथ लाभ अधिक है । इसीलिये ब्‍युटी पार्लर अपने यहॉ नीशेप क्‍लीनिक की ब्रॉच खोल कर लाभ कमा रही है चूंकि अभी इसके जानकारों का ब्‍याप्‍त अभाव है इसकी सुविधाये हमारे देश में केवल महानगरों तक ही सीमित है ।
नेवेल स्प्रिंग :- नेवेल स्प्रिंग एक साधारण सी स्प्रिंग है जो स्‍टीललैस स्‍टील की नाभी साईज अर्थात नाभी के वृत से थोडी सी बडी होती है । इसे सकरी एंव कम गहरी नाभी के अन्‍दर डाल कर छोड दिया जाता है । जैसा कि हम सभी इस बात को अच्‍छी तरह से जानते है कि स्प्रिंग का स्‍वभाव होता है यदि उसे दबा कर छोड दिया जाये तो वह अपने मूल आकार में लौट आती है । इसी उदेश्‍य का उपयोग यहॉ पर नाभी के आकार को बढाने एंव उसे गहरा करने में होता है । कम गहरी या सकरी नाभी या फिर इस प्रकार की नाभी जिसमें नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है जिसकी वहज से नाभी का सौर्न्‍दय जाता रहता है । इस प्रकार की नाभी को आकार चौडा गोल शेप में गहरा बनाने के लिये नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग नीशेप क्‍लीनिक या नीशेप पार्लर में किया जाता है । इसे नाभी पर लगाना बहुत ही आसान है तथा इसे कभी भी आसानी से निकाला जा सकता है महिलाये स्‍वंय इसे अपनी सुविधानुसार लगा सकती है एंव निकाल सकती है नेवेल स्प्रिंग का उपयोग स्‍थाई एंव अस्‍थाई दोनो तरीके से किया जा सकता है । नेवल स्प्रिंग का एक फायदा यह भी है कि इससे नाभी निश्‍चत रूप से आकार में गोल चौडी गहरी सुन्‍दर हो जाती है । नेवल स्प्रिंग को नाभी के अन्‍दर डाल कर छोड देने से वह अपने स्‍वाभाविक दबाब के कारण नाभी के अन्‍दर के मसल्‍स पर दबाब डालती है इससे स्प्रिंग का पतला तार नाभी के अन्‍दर मसल्‍स में इस प्रकार दबाब देते हुऐ छिप जाता है कि आसानी से नजर नही आता इसीलिये ऐसी महिलाये जो पार्टी या किसी फंगशन आदि में जाती है या फिर फिल्‍म मीडिया या टेलीविजन अदाकारा जो नाभी र्दशना वस्‍त्र पहनना चाहती है वे अस्‍थाई नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग करती है ताकि उनकी नाभी गहरी सुन्‍दर दिखे ।गुगल की इस साईड पर आप को नाभी सौन्‍्रद्धय से सम्‍बन्धित जानकारीयॉ मिल सकती है
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नेवेल कार्क से नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाना

           नेवेल कार्क से नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाना
  महिलाओं में नाभी र्दशना वस्‍त्रों के पहनने के कारण गहरी नाभी का महत्‍व काफी बढ गया है । नाभी को आकार में कुछ चौडा एंव गहरा कराने हेतु नीशेप पार्लर में नेवेल कार्क एंव नेवेल स्प्रिंग की सहायता से गहरा बिना किसी आपरेशन के आसानी से किया जाता है । गहरी नाभी की बात ही कुछ और होती है , वही सकरी या फिर कम गहरी नाभी देखने में सुन्दर नही दिखती , नाभी को गहरा करने के लिये उपयोग में आने वाले कार्क को नेवेल कार्क कहते है । नेवेल कार्क एक साधरण सा कार्क है जिसे नाभी के अन्‍दर डाला जाता है ताकि नियमित रूप से कार्क के दबाब के कारण वहॉ के मसल्‍स अन्‍दर की ओर धस जाते है इससे नाभी एक गहरा आकार ले लेती है । नेवेल कार्क उपलब्‍ध न हो तो इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है ।



नेवेल कार्क बनाने की विधि :- नेवेल कार्क बनाना बहुत ही आसान है , इसे केवल इस प्रकार से बनाना होता है जिसमें नाभी पर नियमित दबाब बना रहे ताकि कार्क के दबाब के कारण नाभी अन्‍दर को दब जाये जिससे नाभी के अन्‍दर के मसल्‍स दबकर एक निश्चित आकर ले लेते है । नेवेल कार्क को बनाने के लिय बजार से जिस साईज की नाभी को आकार व गहराई देना हो उस साईज के प्‍लास्टिक के मोती को खरीद ले या फिर बच्‍चे जो कॉच की गोलीयॉ खेलते है इसे ले ले दोनो ही बजार में अलग अलग साईज के आसानी से उपलब्‍ध हो जाते है । इसके बाद इसे फिट करने के लिये आप एक रूपये साईज के सिक्‍के की साईज का या इससे थोडी बडे साईज एल्‍युमिनियम के गोल साईज का वृत के आकार की बस्‍तु को ले जिसके बीचों बीच एक छोटा सा छिद्र ताकि उसके उपर प्‍लास्टिक के मोती या कॉच की गोली को आसानी से इस प्रकार रखा जा सके ताकि वह इधर उधर गिरे नही । अब इसे आप क्‍युफिक्‍स या बजार में प्‍लास्टिक को चिपकाने वाले जो पदार्थ मिलते है उससे उसे उस जगह पर लगा कर चिपका दे बस आप का नेवेल कार्क तैयार हो गया । इस चित्र में देखिये आप को सारी जानकारीयॉ हो जायेगी ।

इस प्रकार से आप घर पर नेवेल कार्क को आसानी से बना सकते है । यहॉ पर जो चित्र दिया है उसमें एल्‍युमोनियम की एक गोल प्‍लेट है जिसके छिद्र पर प्‍लास्टिक के मोती को चिपका दिया गया है । आप चाहे तो इसकी जगह कॉच की गोली को भी चिपका सकते है कॉच की गोली की चिकनी होती है इससे त्‍वचा पर किसी प्रकार के निशान आदि बनने की संभावना कम होती है ।
नेवेल कार्क का उपयोग :-  नेवेल कार्क का उदेश्‍य केवल इतना होता है कि वह नाभी पर दबाब बना सके इस दबाब की बजह से नाभी का आकार एंव गहराई इसके नियमित कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बढ जाती है । अब आप को इसे नाभी पर इस प्रकार से लगाना है ताकि प्‍लास्टिक या कॉच की गोली नाभी के अन्‍दर हो एंव एलुमोनियम प्‍लेट बाहर की तरफ अब इसे अंगुलिये से इतना दबाये ताकि कार्क याने प्‍लास्टिक या कॉच की गोली नाभी के अन्‍दर पूरी तरह से फिट हो जाये ।
यह गिरे नही इसके लिये आप धॉव पर लगाने बाली बैंडेज जो चिपकती है उसे इस प्रकार से लगाये ताकि वह नाभी के पास की त्‍वचा पर इस प्रकार से चिपक जाये ताकि यह कार्क गिरे नही । नियमित कुछ दिनों तक इसी प्रकार से अपनी सुविधानुसार इसे लगाते रहे । जब नाभी गहरी हो जाये एंव आकार में गोल चौडी हो जाये तो आप चाहे कि इसकी गहराई और आकार को और बडी करना है तो आप उस साईज के कार्क का उपयोग कर सकते है । आप अपने नीशेप पार्लर में इस प्रकार के कार्क को बना कर बेच भी सकते है यह बनाने में बहुत आसान है तथा इसका मूल्‍य आप को आप के मन के मुताबिक नाभी पर लगाने पर मिल सकता है । नेवेल कार्क का प्रयोग नियमिल लम्‍बे समय तक करने से नाभी का आकार स्‍थाई रूप से गहरा हो जाता है । अ
 आज कल युवा महिलाओं में नाभी र्दशना वस्‍त्रों के पहने के कारण गहरी नाभी का अधिक महत्‍व बढा है हर महिला चाहती है कि उसकी नाभी गहरी सुन्‍दर हो परन्‍तु सभी महिलाओं की नाभी गहरी सुन्‍दर नही होती । कई महिलाओं की नाभी ,सकरी ,कम गहरी , फिर उसमें नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है इससे नाभी का सौन्द्धर्य जाता रहता है गहरी नाभी ही सुन्‍दर नाभी होती है ।
आज कल फैशनपरास्‍ती परिवारों में छोटी बच्‍चीयों की नाभी की तरफ ध्‍यान दिया जाने लगा है इसलिये वे बच्‍चीयों की नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाने के लिये पहले से ही नेवेल कार्क या नेवेल स्प्रिंग का उपयोग करने लगी है । नाभी को गहरा सुन्‍दर आकार देने का कार्य नी शेप पार्लर या नेवेल क्‍लीनिक में होता है ।

सावधानीया:- 1- नेवेल कार्क की साईज इतनी होना चाहिये ताकि नाभी पर लगाने में आसानी से नाभी के अन्‍दर चली जाये , कार्क इस प्रकार का ना हो जिससे त्‍वचा आदि छिले , कार्क को व नाभी को दो तीन दिन बाद निकालते रहना चा‍हिये एंव सफाई करते रहना चाहिये ।



2- कार्क को चिपकाने वाले बैन्‍डेज मेडिकेटेड होना चाहिये तथा इसे खीच कर इस प्रकार से न लगाये जिससे त्‍वचा में अनावश्‍यक खिचाव हो यदि खीच कर चिपकाया जाता है तो इससे नाभी के आस पास की त्‍वचा पर झुरूरीयॉ पड सकती है जिससे वहॉ की त्‍वचा एकदम खराब दिखेगी । इसलिये हमेशा इस बात को ध्‍यान में रखते हुऐ इसे चिपकाये । चिपकने वाले बैंडेज को लगाने का केवल इतना उदेश्‍य होता है ताकि कार्क गिरे नही । कार्क को चिपकाने के बाद कार्क के उपर से आप जो भी वस्‍त्र पहनते है उसे कार्क की प्‍लेट के उपर रखे ताकि कार्क गिरे नही एंव कार्क पर नियमित दबाब बना रहे । आप चाहे तो उपर से रिबिन आदि भी बॉध सकते है इससे एक तो कार्क गिरेगा नही दूसरा कार्क पर नियमित दबाब बना रहेगा इस दबा की वजह से नाभी को गहरा होने में मदद मिलेगी ।



नेवेल कार्क को नाभी के अन्‍दर लगा कर उसे इस प्रकार से किसी चिपकने वाले बैन्‍डेज से चिपका देते है ।


नी शेप क्‍लीनिक बनाम नारी सौंदर्य में आकर्षक नाभि

        28-नी शेपनारी सौंदर्य में आकर्षक नाभि
   नी शेपनारी सौंदर्य में आकर्षक नाभि अपनी खास अहमियत रखती है. आकर्षक और संतुलित नाभि युवतियों को जहां सैक्सी लुक प्रदान करती है वहीं पार्टी फंक्शन में आकर्षण का केंद्र भी बनती है. आज नाभि दिखाने का फैशन चलन में है.

सविता को पेट के ऊपर साड़ी बांधने पर कसाव महसूस होता है और इस से उसे असुविधा भी होती है, इसलिए वह साड़ी नाभि के नीचे बांधती है, लेकिन उथली नाभि और अंदर की दिखती धारियों की बात से अनजान सविता को उस की सौंदर्य विशेषज्ञ सहेली सुषमा ने जब एहसास कराया तो वह बहुत परेशान हो गई. सुषमा ने इस का उपाय सुझाते हुए कहा कि कुछ युवतियों की नाभि ऊपर की तरफ निकली होती है तो कुछ की नाभि संकरी, छोटी एवं कम गहरी होती है, जो उन के सौंदर्य को कम कर देती है. आजकल नी शेपनामक तकनीक के जरिए नी शेप क्लिनिक एवं पार्लर्स में युवतियों की नाभि को आकर्षक आकार दिया जाता है

तब सविता ने अपनी सहेली सुषमा से विस्तार से इस के बारे में बताने को कहा. जिस पर सुषमा ने बताया कि बदलते परिवेश एवं फैशन की दौड़ में बौडी आर्ट (टैटू), पियर्सिंग (शरीर के अंगों में छेद कर उस में आधुनिक बोल्ड ज्वैलरी पहनाना) के साथसाथ नी शेप का नाम भी जुड़ गया है, जिस के तहत नाभि को आकर्षक बनाया जाता है. नाभि को आकर्षक, गहरी एवं सुंदर बनाने के लिए आजकल नेवल स्प्रिंगतकनीक अपनाई जाती है. इस के अंतर्गत नाभि का नाप ले कर जंगरोधी धातु की नाभि के आकार की एक स्प्रिंग तैयार की जाती है. इस स्प्रिंग की खासीयत है कि यह नाभि के अंदर गहराई में जा कर फैलती है और नाभि के अंदर की त्वचा को दबाती है. फिर इसे नाभि के अंदर डाल कर छोड़ दिया जाता है. जब इस नेवल स्प्रिंग को दबा कर किसी जंगनिरोधी चिमटी के सहारे नाभि की गहराई या सतह पर डाल कर छोड़ा जाता है तब दबाव कम होते ही यह स्प्रिंग अपने बड़े आकार में आ जाती है, इस से नाभि का आकार चौड़ा, गोल एवं आकर्षक हो जाता है. यह स्प्रिंग नाभि में दिखाई नहीं देती है.

इस नेवल स्प्रिंग की एक विशेषता यह भी है कि लगातार नाभि के अंदर रहने से इस के स्प्रिंग के तार त्वचा को दबाते हैं और उस स्थान के सैल्स स्प्रिंग तार के साइज के दबाव के कारण अंदर की तरफ दबतेदबते स्थायी हो जाते हैं और जब नाभि स्थायी रूप से आकर्षक रूप ले लेती है तब स्प्रिंग अपनेआप बाहर निकल जाती है. इस के बाद भी यदि नाभि में पर्याप्त आकर्षण नहीं आता है तो उसी जगह थोड़ी बड़ी स्प्रिंग बना कर डाल देते हैं. इस तरह से नाभि कुछ ही दिन में आकर्षक, गोल एवं गहरी हो जाती है. ब्यूटी क्लिनिक एवं नी शेप क्लिनिक में नाभि में इस नेवल स्प्रिंग को डालने पर सामान्यत: 500 रुपए या उस से अधिक का खर्च आता है.

नेवल स्प्रिंग डालते समय विशेषज्ञों को हाथों में ग्लव्स पहनने चाहिए तथा उन के पास विभिन्न आकार की नेवल स्प्रिंग, स्प्रिंग को नाभि में डालने के लिए विभिन्न प्रकार की चिमटियां एवं फौरसेप होने चाहिए. नेवल स्प्रिंग लगाने से पूर्व नाभि को ऐंटीसैप्टिक लोशन से अच्छी तरह साफ करना चाहिए. नेवल स्प्रिंग जंगरोधी होनी चाहिए, स्प्रिंग के दोनों छोर अंदर की तरफ मुड़े हुए होने चाहिए जिस से कि वे नाभि में अंदर जाने के बाद उसे नुकसान न पहुंचाएं. अगर नेवल स्प्रिंग लगाने के बाद किसी तरह की परेशानी या असुविधा हो तो उसे निकलवा देने में ही समझदारी है.
नी शेप क्लिनिक अभी महानगरों एवं बड़े शहरों तक ही सीमित है, लेकिन धीरे धीरे इन की लोकप्रियता अन्य जगहों पर भी बढ़ेगी. इसी के साथ एक विधि कपिंगहै. इस में किसी खोखली वस्तु (धातु के कप) को मसल्स पर रख कर उस की हवा निकाली जाती है. हवा निकलने से उस जगह पर वैक्यूम पैदा हो जाता है, जिस से वह उस जगह पर चिपक जाता है, इस से वहां खिंचाव शुरू हो जाता है और नए सैल्स बनने से वह जगह फैलनी शुरू हो जाती है. नाभि के पर्याप्त आकार लेते ही कप निकल जाता है. इस विधि में नाभि को जो आकार देना है उस आकार के कप का उपयोग किया जाता है.
इस तरह नाभि को आकर्षक रूप प्रदान किया जाता है ।

नेवल स्प्रिंग :- नेवेल स्प्रिंग एक साधारण सी स्प्रिंग है जो स्‍टीललैस स्‍टील की नाभी साईज अर्थात नाभी के वृत से थोडी सी बडी होती है । इसे सकरी एंव कम गहरी नाभी के अन्‍दर डाल कर छोड दिया जाता है । जैसा कि हम सभी इस बात को अच्‍छी तरह से जानते है कि स्प्रिंग का स्‍वभाव होता है यदि उसे दबा कर छोड दिया जाये तो वह अपने मूल आकार में लौट आती है । इसी उदेश्‍य का उपयोग यहॉ पर नाभी के आकार को बढाने एंव उसे गहरा करने में होता है । कम गहरी या सकरी नाभी या फिर इस प्रकार की नाभी जिसमें नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है जिसकी वहज से नाभी का सौर्न्‍दय जाता रहता है । इस प्रकार की नाभी को आकार चौडा गोल शेप में गहरा बनाने के लिये नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग नीशेप क्‍लीनिक या नीशेप पार्लर में किया जाता है । इसे नाभी पर लगाना बहुत ही आसान है तथा इसे कभी भी आसानी से निकाला जा सकता है महिलाये स्‍वंय इसे अपनी सुविधानुसार लगा सकती है एंव निकाल सकती है नेवेल स्प्रिंग का उपयोग स्‍थाई एंव अस्‍थाई दोनो तरीके से किया जा सकता है । नेवल स्प्रिंग का एक फायदा यह भी है कि इससे नाभी निश्‍चत रूप से आकार में गोल चौडी गहरी सुन्‍दर हो जाती है । नेवल स्प्रिंग को नाभी के अन्‍दर डाल कर छोड देने से वह अपने स्‍वाभाविक दबाब के कारण नाभी के अन्‍दर के मसल्‍स पर दबाब डालती है इससे स्प्रिंग का पतला तार नाभी के अन्‍दर मसल्‍स में इस प्रकार दबाब देते हुऐ छिप जाता है कि आसानी से नजर नही आता इसीलिये ऐसी महिलाये जो पार्टी या किसी फंगशन आदि में जाती है या फिर फिल्‍म मीडिया या टेलीविजन अदाकारा जो नाभी र्दशना वस्‍त्र पहनना चाहती है वे अस्‍थाई नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग करती है ताकि उनकी नाभी गहरी सुन्‍दर दिखे ।
नेवेल स्प्रिंग:- नेवल स्प्रिंग स्‍टील की एक साधारण सी स्प्रिंग है जो नाभी के साईज या नाभी साईज से थोडी सी बडी होती है । इसे नाभी के अन्‍दर की सतह पर दबा कर छोड दिया जाता है दबाव के कम होते ही स्प्रिंग अपने स्‍वाभाव के कारण अपनी मूल स्थीति में आ जाती है एंव नाभी की दिवारों पर दबाब देते हुऐ आकार में चौडा कर देती है यदि नाभी पर धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई दे रही है तो वह भी स्प्रिंग की दबाब की वजह से आसानी से छिप जाती है । स्प्रिंग के इस दबाब के कारण नाभी आकार में गोल गहरी दिखलाई देने लगती है । नाभी पर नेवल स्प्रिंग को लगाना बहुत आसान है आप नाभी की साईज से थोडी बडी साईज की स्प्रिंग को ले एंव इसे अंगुलियों से दबाते हुऐ नाभी के अन्‍दर डालकर छोड दे आप चाहे तो फारशेप या किसी चिमटी का प्रयोग भी कर सकते है । जैसे ही इसे नाभी की सतह पर छोडा जाता है यह फैल कर नाभी के आकार को गोल बना देती है । तथा नाभी का साईज इसके नियमित उपयोग से स्‍थाई रूप से आकार में गोल एंव गहरा हो जाता है । इसके नियमित उपयोग से जब नाभी का आकार बढ जाता है तो यह स्प्रिंग अपने आप निकल जाती है । इससे यह सिद्ध होता है कि नाभी का आकार पहले की अपेक्ष बढ गया है यदि आप को इससे भी अधिक आकर में नाभी को चौड गोल करना हो तो उससे कुछ बडी साईज के नेवल स्प्रिंग का प्रयोग कर सकते । वैसे तो मात्र नेवल स्प्रिंग से नाभी आकार में चौडी गोल हो जाती है परन्‍तु कुछ महिलाओं की नाभी आकार में चौडी तो हो जाती है परन्‍तु गहरी कम होती है उन्‍हे नेवेल स्प्रिंग के बाद नेवेल कार्क का प्रयोग करना चाहिये इसके साथ ही यदि नाभी के उपर के मसल्‍स कम है तो कपिंग का प्रयोग कर नाभी प्रदेश के मसल्‍स को उभारा जा सकता है । नाभी प्रदेश के मसल्‍स के उभरने से नाभी स्‍वाभाविक रूप से अधिक गहरी दिखने लगती है ।

सावधानी:- नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग प्रारम्‍भ में उतनी ही साईज का करे जिससे नाभी पर अधिक दबाब न पडे एंव स्प्रिंग इस प्रकार की होना चाहिये ताकि त्‍वचा को नुकसान न हो । 2-समय समय पर नेवल स्प्रिंग को निकाल कर किसी एन्‍टीसेप्‍टीक लोशन से साफ करते रहना चाहिये । साथ ही नाभी के अन्‍दर भी सफाई करना आवश्‍यक है । 3- नाभी के आकार को अधिक चौडा करना हो तो नेवेल स्प्रिंग की साईज को समय समय पर बढाते जाना चाहिये ।