सोमवार, 20 अगस्त 2018

व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व


                 व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व
मानव शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी , हमारे रोज मर्ज के बोल चाल की भाषा में कई बार ना भी शब्‍द का उपयोग होते हुऐ भी, इस शब्‍द का महत्‍व उसी तरह से लुप्‍त प्राय: है जैसा कि हमारे शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का है । नाभी ना अर्थात नही , भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन से मिलकर बना एक ऐसा शब्‍द है जिसका अर्थ ना और हॉ मे होता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से नाभी हमारे शरीर का एक महत्‍वपूर्ण अंग होते हुऐ भी जन सामान्‍य इसे अनुपयोगी समक्षता है ऐसे व्‍यक्ति इसके प्रथम अक्षर ना का प्रतिनिधित्‍व करने वाले है । इसके दूसरे अक्षर भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन का प्रतिनिधित्‍व करने वाला समुदाय जिनकी संख्‍या अगुलियों पर गिनी जा सकती है इसके महत्‍व को समक्षता है । हम प्राय: अपने बोल चाल की भाषा में कहते है, ना भी जाओं तो चलेगा , ना भी हो तो चलेगा आदि आदि ऐसे वाक्‍य है जिसमें नाभी शब्‍द का कई बार उपयोग हम अंजाने में कर जाते है परन्‍तु अंजाने में किये गये इस धारा प्रवाह वाक्‍य का कितना महत्‍व है इस पर कभी विचार ही नही किया जाता , ठीक इसी प्रकार से हमारे शरीर में दिखने वाली व्‍यर्थ सी नाभी को हम प्राय: महत्‍व नही देते जबकि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के नये शोध व परिक्षणों ने यह बात सिद्ध कर दी है कि स्‍टैम्‍प सैल्‍स अर्थात नाभी की कोशिकाओं से कई असाध्‍य से असाध्‍य बीमारीयों का उपचार किया जा सकता है चिकित्‍सा विज्ञान का माना है कि बच्‍चे का जन्‍म इन्‍ही स्‍टैम्‍म सैल्‍स से होता है इन स्‍टम्‍म सैल्‍स के पास शरीर के विभिन्‍न अंगों के निर्माण की सूचना संगृहित होती है एंव ये छोटी से छोटी कोशिकाये अपनी संसूचना के अनुरूप शरीर के विभिन्‍न अंगों का निर्माण करती है । जैसे कोई हडियों का सैल्‍स है तो उसे हडियों का निर्माण करना है यदि किसी सेल्‍स के पास यह जानकारी है कि उसे शरीर का कोई विशिष्‍ट अंग का निर्माण करना है तो वह उसी अंग का निर्माण करेगा ।


सदियों पूर्व से हमारे भारतवर्ष में परम्‍परागत उपचार विधियों में , नाभी से उपचार की कई बाते देखने को मिल जाती है परन्‍तु दु:ख तो इस बात का है कि ऐसी जानकारीयॉ एक जगह पर संगृहित नही है चंद जानकार व्‍यक्तियों ने इसे अपने धन और यश का साधन बना रखा था एंव उनके जाने के बाद यह जानकारी उनके साथ चली गयी । यहॉ पर मै कुछ उदाहरणों पर प्रकाश डालना चाहूंगा जो इसके महत्‍व को र्दशाते है । जैसे ओठों के फटने पर हमारे बडे बुर्जुग कहॉ करते थे नाभी पर सरसों का तेल लगा लो इससे ओठ नही फटेगे , पेशाब का न होने पर नाभी में चूहे की लेडी लगाने से पेशाब उतर जाती है , गर्भवति महिला को प्रशव में अधिक पीडा होने पर दाई अधाझारे की जड नाभी पर लगा देती थी , इससे प्रसव आसानी से बिना किसी तकलीफ के हो जाया करता था , ऐसे और भी कई उदाहरण हमे देखने को मिल जाते है । इसी प्रकार का एक उदाहरण और है जिसका प्रयोग चीन व जापान की परम्‍परागत उपचार विधि में सौन्‍र्द्धय समस्‍याओ के निदान में‍ किया जा रहा है इसमें नाभी के अन्‍दर जमा मैल को रेक्‍टीफाईड स्‍प्रीट में निकाल कर इसका प्रयोग उसी मरीज की त्‍वचा पर करने से त्‍वचा स्निंग्‍ध मुलायम चमकदार हो जाती है साथ ही शरीर पर झुर्रीयॉ व त्‍वचा के दॉग धब्‍बे ठीक हो जाते है ,उनका कहना है कि इसके नियमित प्रयोग से त्‍वचा में निखार के साथ रंग साफ गोरा होने लगता है । खैर जो भी हो, नाभी के महत्‍व को नकारा नही जा सकता । हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति में कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ होती है । नाभी पर मणीपूरण चक्र पाया जाता है इसकी साधना से असीम शक्तियॉ प्राप्‍त की जा सकती । नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर थी, परन्‍तु इसे हम सम्‍हाल न सके , मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों ने तो इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कहॉ परन्‍तु , हमारा पढा लिखा सभ्‍य समाज जो पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण का अनुयायी था उसने भी बिना इसकी उपयोगीता को परखे इसे महत्‍वहीन कहना प्रारम्‍भ कर दिया । इसी का परिणाम है कि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के भवर जाल में उलझ कर मरीज इतना भ्रमित हो चुका है कि उसे यह समक्ष में नही आता कि उपचार हेतु किस चिकित्‍सा की शरण में जाये । पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार विद्याओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । स्‍वस्‍थ्‍य, दीर्ध,आरोग्‍य जीवन एंव रोग उपचार हेतु सदियों से चली आ रही उपचार विद्याओं का सहारा लिया जाता रहा है और इसके सुखद एंव आशानुरूप परिणाम भी मिले है । परन्‍तु दु:ख इस बात का है कि इन उपयोगी उपचार विधियों पर न तो हमने कभी शोध कार्य किया न ही इसकी उपयोगिता को परखने का दु:साहस किया । नाभी उपचार प्रक्रिया से कई उपचार विधियों का सूत्रपात समय समय पर हुआ है जैसे चीन व जापान की एक ऐसी परम्‍परागत उपचार विधि है जिसमें बिना किसी दवादारू के मात्र नाभी एंव पेट के आंतरिक अंगों को प्रेशर देकर मिसाज कर उसे सक्रिय कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जा रहा है । इस उपचार विधि का नाम है ची नी शॉग उपचार यह उपचार विधि भी हमारे देश की नाभी चिकित्‍सा की देने है हमारे यहॉ नाभी परिक्षण कर टली हुई नाभी को यथास्‍थान लाकर उपचार किया जाता रहा है इस उपचार विधि में भी इसी सूत्र का पालन किसी न किसी रूप में किया जाता है अत: हम कह सकते है कि
ची नी शॉग उपचार विधि हमारे देश की ही देन है जिसे जापान व चीन के भिझुओं ने समक्षा व इसे अपने साथ ले गये तथा एक नये नाम से इस उपचार विधि ने चीन व जापान में अपना एक अलग स्‍थान बनाया । ची नी शॉग उपचार विधि से रोग उपचार के साथ शरीर की सर्विसिंग भी की जाती है आज कल फाईब स्‍टार होटलो में पेट की जो मिसाज प्रक्रिया शरीर की सर्विसिंग व पेट को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिये की जा रही है वह वह यही उपचार विधि है । ची नी शॉग पार्लर भी तेजी से खुलते जा रहे है । नाभी उपचार में नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवल होम्‍योपंचर की भी एक अहम भूमिका है चूंकि एक्‍युपंचर चिकित्‍सा में संम्‍पूर्ण शरीर में हजारों की संख्‍या में एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इन एक्‍युपंचर पाईट को खोजना उपचारकर्ता के समक्‍क्ष एक बडी समस्‍या होती है फिर शरीर के कुछ ऐसे नाजुक अंग जिन पर सूईया चुभाना कठिन कार्य है इसी प्रकार होम्‍योपैथिक में हजारों की संख्‍या में होम्‍योपैथिक की शक्तिकृत दवाये होती है जिसका निर्वाचन रोग लक्षणों के हिसाब से करना चिकित्‍सको के लिये कठिन कार्य होता है । होम्‍योपैथिक एंव एक्‍युपंचर की साझा चिकित्‍सा को होम्‍योपंचर उपचार कहते है । नेवेल एक्‍युपंचर चि‍कित्‍सा में नाभी के आस पास शरीर के सम्‍पूर्ण एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इस लिये नेवेल एक्‍युपंचर में नाभी पर एंव नाभी के आसपास एक्‍युपंचर की बारीक सूईयों को चुभा कर उपचार किया जाता है इसे नेवेल एक्‍युपंचर उपचार कहते है यह एक्‍युपंचर चिकित्‍सा से काफी सरल एंव आशानुरूप परिणाम देने वाली उपचार विधि है । नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा में नाभी एंव नाभी के आस पास डिस्‍पोजेबिल बारीक निडिल में होम्‍योपैथिक की कुछ गिनी चुनी दवाओं को निडिल में भर कर नाभी एंव नाभी के आस पास क्षेत्र में चुभा कर उपचार किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर हो या नेवल एक्‍युपंचर हो इस चिकित्‍सा पद्धति का मानना है कि नाभी पर सम्‍पूर्ण शरीर के पाईन्‍ट पाये जाते है जैसा कि हमारे आयुर्वेद में भी कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ पाई जाती है इन 72000 नाडीयों का सम्‍बन्‍ध हमारे सम्‍पूर्ण शरीर से होता है ।
नेवल एक्‍युपंच में येन यॉग को आधार मानकर तीन चार दवाये बनाई गयी है जिनको डिपोजेबिल न‍िडिल में भर कर नाभी के धनात्‍मक .ऋणात्‍मक पाईन्‍ट पर चुभा कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा एक सरल उपचार विधि है इस उपचार विधि से समस्‍त प्रकार के रोगो का उपचार आसानी से किया जाता है । जो भी चिकित्‍सक इन चिकित्‍सा विधियों को सीखना चाहे वह हमारे ईमेल पर हमे सूचित कर सीख सकता है । इसकी सारी जानकारीयॉ हम नि:शुल्‍क मेल पर भेजते है इसका अध्‍ययन घर बैठे करने के पश्‍चात इसका प्रेक्टिकल प्रशिक्षण भी नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जाता है । अत: जो भी चिकित्‍सक नेवल एक्‍युपंचर या नेवल होम्‍योपंचर सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे मेल पर या जो साईड बतलाई गयी है उससे जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है । नाभी उपचार या ची नी शॉग चिकित्‍सा जो भी व्‍यक्ति सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे बतलाये मेल या साईड पर जा कर जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है ।

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शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

इलैट्रो होम्‍योपैथिक का नि:शुल्‍क कोर्स घर बैठे करिये


इलैट्रो होम्‍योपैथिक का नि:शुल्‍क कोर्स घर बैठे करिये
  इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक में केवल 38 औषधियॉ है , इन 38 औषधियों से सम्‍पूर्ण बीमारीयों कर उपचार किया जा सकता है । यदि आप घर बैठे इस कोर्स का अध्‍ययन करना चाहते है तो आप इस ई मेल एड्रेस battely2@gmail.com पर अपनी पूरी जानकारी भर कर भेजिये । आप को इस कोर्स की विषय सामग्री किस्‍तों में आप तक भेजी जाती रहेगी । जितनी पाठय सामग्री आप को भेजी जाती है उसमें पास होने पर ही आगे की पाठय सामग्री आप को भेजी जायेगी । सम्‍पूर्ण भेजी गये कोर्स में उत्‍तीर्ण होने के पश्‍चात आप की वार्षिक परिक्षा होगी उसमें पास होने पर आप को प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा । भेजी गई विषय की परिक्षा के उत्‍तर  आप को हमारे ई मेल एड्रेस पर भेजना होगा , एंव आप का पंजियन इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक बोर्ड से कराया जायेगा ।      
    पत्राचार माध्‍यम से हमारे यहॉ और भी कई प्रकार के नि:शुल्‍क कोर्सो का संचालन किया जा रहा है । जैसे
1-चिकित्‍सा सम्‍बन्धित पत्राचार कोर्स :- एक्‍युपंचर ,नेवल एक्‍युपंचर ,नाभी स्‍पंदन से रोगों की पहचान एंव निदान ,ची नी शॉग उपचार, न्‍यूरोथैरापी ,एक्‍युप्रेशर , आईरिस साईस , होम्‍योपंचर चिकित्‍सा ,इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक ,
2-स्‍वारोजगार सम्‍बन्धित पत्राचार कोर्स:- ब्‍यूटी पार्लर,ब्‍यूटी क्‍लीनिक ,टैटू आर्ट ,नी शेप पार्लर, पिर्यसिंग पार्लर, बी गम थैरापी ,कपिंग थैरापी ,
 इसकी जानकारीयॉ आप हमारे इन साईस पर प्राप्‍त कर सकते है ।
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भोजपुरी अभिनेत्र की नाभी को आकृषक बनाना


भोजपुरी अभिनेत्र की नाभी को आकृषक बनाना
डॉ0सिंह का अनुभव केश - पटना बिहार में स्‍थानीय फिल्‍म अभिनेत्री जिसका नाम मै यहॉ पर नही लेना चाहूंगा । उसके फिल्‍म के किसी गाने की शूटींग थी परन्‍तु वह अपनी नाभी को लेकर परेशान थी । उसकी नाभी सकरी एंव उसके अन्‍दर की नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिख लाई दे रही थी इससे उसके पेट एंव नाभी का आकृषण कम हो गया था । फिल्‍म के डायरेक्‍टर ने उसकी सकरी एंव कम गहरी नाभी की वजह से उस गाने के लिये किसी दूसरी अभिनेत्री को लेने का विचार किया था इससे वह बहुत परेशान थी । चूंकि हमारा ब्‍यूटी क्‍लीनिक का नि:शुल्‍क केम्‍प बिहार के पटना में लगा हुआ था । किसी ने उस अभिनेत्री को हमारे यहॉ चलने वाले कैम्‍प की जानकारी दी । उसने हमसे फोन पर सारी बाते बतलाई एंव घर आने को कहॉ मै और पटना की नीशेप एक्‍सपर्ट श्रीमति कल्‍पना शुक्‍ला दोनो उसके बंगले पर पहूंचे । उसने अपनी सारी स्थिति से बतलाते हुऐ कहॉ कि अभिनेत्रीयों के आकृषण में नाभी का विशेष महत्‍व है मेरी नाभी सकरी एंक कम गहरी तथा नाभी पर स्‍पष्‍ट रूप से धारीयों के दिखने के कारण फिल्‍म डायरेक्‍ट ने किसी दूसरी अभिनेत्री को गाने की शूटीग के लिये लेने पर विचार किया है इससे मै बहुत परेशान हूं । उसने अपनी नाभी हमे दिखलाई उसकी नाभी गोलाई में सकरी थी जिस पर नाभी धारीयों की वजह से वह बहुत ही खराब दिख रही थी साथ ही कुछ नाभीयॉ पूर्ण गोलाकार न हो कर उस पर नाभी के अन्‍दर के अनावश्‍यक मोटी त्‍वचा की परतों की वजह से उसकी गहराई नही दिख रही थी । नाभी की गोलाई कम होने एंव त्‍वचा की परतो की वह से वह ढक चुकी थी फिर उसकी नाभी धारीयॉ की वहज से काले काले निशान उसके आकृषण का कम कर रहे थे । हमने विचार किया कि इसे नेवेल स्प्रिंग से गहरा आकार दिया जा सकता है परन्‍तु हम दोनो ने जो भी नेवल स्प्रिंग हमारे पास उपलब्‍ध थी उसे लगाया परन्‍तु एक भी स्पिंग फिट नही हुई ,हम दोनो ने विचार किया कि चॉदी की पतली तारनुमा पटटी को नाभी की गहराई मे डाल कर फैला दिया जाये तो नाभी का सकरापन एंव उस पर दिखने वाली त्वचा की परतों को आसानी से छिपाया जा सकता है । इसलिये हमने सुनार की दुकान से एक पतली चॉदी की पटटी (तार जैसी) बुलवाई एंव उसे नाभी के आकार एंव गहराई के अनुसार उसे हमने अपने अनुसार ठोक पीट कर बनाया फिर उसकी नाभी की गहराई के अन्‍दर डाल कर प्‍लास से फैला दिया । हमे खुद विश्‍वास नही हुआ कि वह चांदी का तार नाभी के गहरे भाग मे जा कर इस प्रकार से फैल कर सेट हो गया कि दिखलाई तक नही दे रहा था । उसकी नाभी गोल गहरी सुन्‍दर दिखने लगी जब उस अभीनेत्री ने अपनी गहरी नाभी को देखा तो उसे स्‍वय विश्‍वास नही हुआ कि इतनी सुन्‍दर गहरी एंव आकार में गोल नाभी कैसे हो गयी उसने हमसे पूछा भी कि कही ऐसा तो नही होगा कि गाने में हरकत की वहज से नाभी पर लगा तार गिर जाये एंव नाभी पुन: जैसी है वैसी ही हो जाये । हमने कहॉ कि इसे हमने नाभी की गहराई में इस प्रकार से फैला दिया है कि वह त्‍वचा एंव मॉस पर दबाब देते हुऐ फैला है इससे उसके गिरने की कोई संभावना नही है परन्‍तु इसे जब निकालना हो या कोई परेशानी हो तो आप इसे दबा कर प्‍लास से आसानी से निकाल सकते है । अभीनेत्री इस प्रयोग से बहुत खुश थी । उसने बतलाया कि आज ही उसके गाने की शूटीग है एंव इस प्रकार से आप ने बिना किसी चीर फाड किये नाभी को गहरा सुन्‍दर बना दिया मै बहुत खुश हूं आप लोग हमारी शूटिंग पर अवश्‍य आये परन्‍तु चूंकि हमारे नि:शुल्‍क प्रशिक्षण की वजह से हमने आने में अपनी असमर्थता जतलाई । शाम को ही उस अभीनेत्री का फोन आया उसने कहॉ गॉने की शूटिंग अच्‍छे से हो गयी नाभी पर लगाया तार नही गिरा एंव डायरेक्‍टर सहाब भी मेरे गहरी आकृषक नाभी को देख कर प्रशन्‍न थे तथा इस गाने के लिये जिस स्‍थानीय दूसरी अभीनेत्री को लेने का विचार किया था उसे कैंसिल कर दिया गया । हम लोग दुसरे दिन अपने अपने घर चले गये । परन्‍तु दो तीन दिन लगातार उस हीरोईन का फोन आता रहा उसने बतलाया कि तार अभी भी लगा है मैने उसे बतला दिया था कि यह तार कुछ दिनों में नाभी के अन्‍दर जहॉ इसे फॅसाया गया है उसकी चौडई बढने से वह गिर जायेगा । करीब पन्‍द्रह दिनों बाद पुन: फोन आया उसने बतलाया कि तार गिर गया है परन्‍तु नाभी अभी वैसी ही आकृषक दिख रही है हमने कहॉ पुन: इसमें पहले से कुछ अधिक व्‍यास का तार डालना पडेगा इस प्रकार से तार के वृत को बढाते बढाते करीब छै: सात माह के बाद यह स्‍थाई आकार लेगा अभिनेत्री ने पुन: आने का आमंत्रण दिया हमने उसकी नाभी पर लगभग छै: माह तक इसी प्रकार से तार के व्‍यास को बढाते हुऐ नाभी के आकार व वृत को एक निश्चित आकार में एंव गहरा दिखे इसके लिये कपिंग उपचार कि इससे नाभी के आस पास की मॉस के बढ जाने से नाभी अत्‍याधिक गहरी व आकृषक दिखने लगी थी उसकी नाभी में गजब की सुन्‍दरता आ गयी थी हमने नाभी पर नाभी बल बनाने के लिये उसे एक नाडे को बांधने की भी सहाल दी यह नाडा नाभी के मध्‍य से होते हुऐ बॉधा जाता है इससे जहा पर नाडा बॉधते है वहॉ पर नाभी पर एक बल पडने लगता है इससे नाभी और भी अधिक गहरी आकृषक दिखने लगती है उस अभिनेत्री ने आशानुरूप परिणामों से प्रशन्‍न हो कर वैसा ही किया । कुछ दिनों बाद पुन: उसका फोन आया उसने बतलाया कि उसकी नाभी अत्‍याधिक गहरी आकार में गोल तथा नाभी पर बल पडने के कारण और भी सुन्‍दर दिखने लगी है  भोजपुरी फिल्‍मों में अभिनेत्रीयों की नाभी को प्राथमिकता से फिल्‍माया जाता है इसलिये अब उसे कई भोजपुरी फिल्‍मो में जिसमें गहरी सुन्‍दर नाभी को प्राथमिकता दी जाती है मिलने लगी थी । 

नाभी को गहरा आकृषक बनाने का लाभकारी व्‍यवसाय :- आज के इस फैशनपरास्‍ती युग में जहॉ युवा महिलाओं में नाभी का प्रर्दशन एक फैशन बन चुका है । इस लिये प्रत्‍येक युवा महिलाये चाहती है कि उनकी नाभी आकृषक गहरी गोल हो इसलिये वे नाभी को गहरा आकृषक बनाने के लिये नीशेप क्‍लीनिक की तलाश में रहती है परन्‍तु नीशेप क्‍लीनिक की सुविधायें केवल महानगरों तक ही सीमित है । इसलिये यदि इस व्‍यवसाय को अपने पार्लर में प्रारम्‍भ किया जाता है तो यह आसानी से चल निकलता है एंव आप का नेटवर्क बिना किसी प्रचार प्रसार के अपने आप बनने लगता है । इस कार्य के मुंह मांगी कीमत भी मिलती है । इस व्‍यवसाय की एक खॉसीयत और भी है जैसा कि उपर कहॉ गया है कि अभी इसका कार्य मात्र महानगरों तक ही सीमित है इस लिये यदि आप इस व्‍यवसाय को प्रारम्‍भ करते है तो अपने नगर ही नही बल्‍की आस पास के नगरों में भी आप इसके एकलौते जानकार होगे एंव यह सुविधा मात्र आप के यहॉ ही उपलब्‍ध होने से ग्राहक बिना किसी प्रचार प्रसार के आप के ही पास आने को बाध्‍य होगे ।
नीशेप प्रशिक्षण :- चूंकि इसका प्रशिक्षण बहुत ही आसान है पहले आप इसके कोर्स का अध्‍ययन घर बैठे कर ले फिर किसी जानकार से इसका प्रशिक्षण प्राप्‍त कर सकते है जो मात्र एक घन्‍टे से भी कम समय में आप को इसमें ट्रेन्‍ड कर देगा या फिर ब्‍यूटी क्‍लीनिक के नि:शुल्‍क प्रशिक्षण शिविर में भी इसका प्रशिक्षण असानी से लिया जा सकता है  




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शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

नाभी से चरम सुखानुभूती



नाभी से चरम सुखानुभूती

नाभी से चरम सुख की अनुभूति प्राप्‍त करना युवा महिला पुरूष दोनो में सदियों से होता चला आया है । युवा अवस्‍था के आते ही मनुष्‍य सुख की अनुभूति की तलाश में रहता है ,इस प्रकार की सुखानुभूति का प्रमुख कारण हमारे शरीर में युवा अवस्‍था के आते ही सैक्‍स हार्मोस का निर्माण है । कामवासना की पूर्ति न होने पर विभिन्‍न प्रकार के मानसिक रोग होने लगते है । जिसके बारे में उसे स्‍वय नही मालुम होता । युवावस्‍था के आते ही युवा शारीरिक सुख की तलाश में रहता है, विरूद्ध लिंग के प्रति आकृषण एक नेचुरल प्रतिक्रिया है, परन्‍तु समाजिक मर्यादाओं ,तथा कानूनी प्रक्रियाओं के चलते इसे आसानी से प्राप्‍त नही किया जा सकता, परन्‍तु उसे शारीरिक सुख की मॉग तो यथावत रहती है, ऐसे में यदि उसके इस शारीरिक सुख की मॉग पूरी न हुई तो वह विभिन्‍न प्रकार के उपक्रमों का सहारा लेता है जैसे स्‍वाप्रेम जिसमें युवा स्‍वंय अपने ही शरीर के अंगों से प्‍यार करता है, उसे सहलाता है विरूद्ध लिंग के शारीरिक अंगों की कल्‍पना करता है, यहॉ तक कि उसी प्रकार के कपडे पहन कर अपने अंगों को निहारता है, फिर अंतिम चरण में हस्‍थमैथुन कर संतुष्‍टी प्राप्‍त करता है, यह एक नेचुरत प्रतिक्रिया है । परन्‍तु जब यही स्थिति बढ जाती है तब वह एक मानसिक विकार का रूप धारण कर लेती है । हमारे शारीर के बहुत से ऐसे अंग है जो अति संवेदनशील अंग कहे जाते है इन संवेदनशील अंगो को सहलाने से सुख की अनुभू‍ति होती है । इनमें नाभी भी एक ऐसा अंग है जिसके अन्‍दर के भाग को सहलाने से पूरे शरीर में सिंरहन सी दौड जाती है खॉस कर यौन अंगों में इसका अहसास होता है । महिलाओं द्वारा सुखानुभूति का अहसास :- प्राय: महिलाओं पर सामाजिक बन्‍धन अधिक होता है एंव वे अपनी कामवासनाओं को दबाती रहती है, परन्‍तु युवावस्‍था के आते ही उनके शरीर के शारीरिक परिवर्तन शरीर के विभिन्‍न अंगों के उतार चढाव उन्‍हे इसका अहसास हमेशा कराते रहते है । महिलाये स्‍वंम अपने ही शरीर के ऐसी बनावट से प्रभावित हो कर उन्‍हे देखती सहलाती है एंव चाहती है कि उसे कोई देखे उसका स्‍पर्श करे परन्‍तु ऐसा संभव नही हो पाता इसलिये वे अपने इस कामवासनाओं की पूर्ति अकेले में स्‍त्रीसुलभ अंगों को देखती है उनका स्‍पर्श करती है ।

प्राय: युवा स्‍त्रीयॉ सुखानुभूति हेतु नाभी जैसे संवेदन शील अंग को अपना टारगेट बनाती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि नाभी व नाभी के आप पास के उदर स्‍थल पर स्‍पर्श का बहुत ही सुखमय व आनन्‍ददायक प्रभाव होता है । नाभी के मध्‍य भाग में तो महीन स्‍पर्श से पूरे शरीर व गुप्‍त अंगों में सिरहन सी दौड जाती है । इसी लिये अधिकाशा युवा महिलाये जिनकी शादीयॉ नही हुई होती है या जो पुरूष स्‍पर्श से वंचित रह जाती है वे प्राय: नाभी के इस स्‍पर्श हेतु विभिन्‍न प्रकार के उपक्रमों का सहारा लेती है ।
नाभी व उसके आस पास स्‍पर्श हेतु जीव जन्‍तुओं का सहारा :- चूंकि नाभी के मध्‍य का भाग अत्‍याधिक संवेदनशील होता है साथ ही नाभी प्रदेश का भाग जिसे हम पेट कहते है यह भी स्‍पर्श के प्रति अति संवेदनशील होता है । युवा स्‍त्रीयॉ नाभी के उपर किसी बर्तन में ऐसे कीडे मकोडे जो काटते नही है उन्‍हे भर कर नाभी पर उल्‍टा कर ढक देते है इससे उन कीडों के चलने से पेट पर गुदगुदी का अहसास होता है यदि यही कीडे नाभी के अन्‍दर के भाग पर हलचल करते है तो यह गुदगुदी का अहसास कई गुना बढ जाता है यहॉ तक कि इस सुखानुभूति के अहसास से कई महिलाओं का वीर्य निकल जाता है एंव उन्‍हे असीम सुख की अनुभूति होती है । नाभी पर प्राय: इस प्रकार के छोटे कीडों का प्रयोग करते है जो कॉटते नही हो या कॉटे भी तो उससे किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिये प्राय: काकरोज ,चिडडा , खटमल , या इसी प्रकार के छोटे नुकसान रहित कीडों का प्रयोग करती है । कुछ महिलाये तो इस चरम सुखानुभूति के अहसास के लिये अपने पेट व नाभी पर मधु मख्‍खीयों तक को बर्तन में रख कर छोड देती है वैसे मधुमख्‍खी तभी काटती है जब उसे पकडने या छेडने का प्रयास किया जाये यदि उसे पेट पर रख बर्तन से ढक दिया जाये तो वह पेट पर धुमती रहती है उसके चलने से पेट पर बारीक स्‍पर्श का अहसास होता है यदि वह नाभी के अन्‍दर गई तो फिर समक्षो की यह अहसास इतना बढ जाता है कि कभी कभी महिलाये इस परमसुख से पागल सी हो जाती है एंव नाभी के अन्‍दर मधुमख्‍खीयों को काटने के लिये उकसाती है नाभी पर मधुमख्‍खी के काटने से र्दद तो होता है परन्‍तु किसी प्रकार का नुकसान नही होता । इसी प्रकार कई इसी प्रकार के प्रकरणों में देखा गया है कि कई महिलाये इस प्रकार के स्‍पर्श सुखानुभूति के अहसास हेतु अपने पेट व नाभी पर बारीक चीटियों को किसी बर्तन में रख उल्‍टा देती है । इससे चीटियों के चलने से बारीक स्‍पर्श अनुभव होता है चीटियों का नाभी के अन्‍दर चलने के कारण जो स्‍पर्श अहसास अनुभव होता है उससे उन्‍हे चरम संतुष्‍टी मिलती है । चीटियों का स्‍वभाव है कॉटना थोडी देर तक तो चीटियॉ पेट पर एंव नाभी के अन्‍दर चलती रहती है बाद में वह पेट की त्‍वचा व नाभी पर काटना शुरू करती है इनके कॉटने से केवल सूजन आती मामूली सा र्दद होता है परन्‍तु किसी प्रकार का कोई खॉस नुकसान होते अभी तक तो नही देखा गया है ।
बास्‍तविक घटनाये :- यहॉ पर किसी का नाम दिये बैगेर कुछ बातचीत के अंश दिये जा रहे है । कालेज गर्लस जो हॉस्‍टल में अपने गर्लस साथीयों के साथ रहती थी इसकी उम्र लगभग 25 26 वर्ष के आस पास होगी, लम्‍बे समय से घर परिवार से दूर रहना पढाई का बोझ जैसी कई मानसिक परेशानीयों के बीच ये शारीरिक सुख की तलाश में रहती परन्‍तु गर्लस हॉस्‍टल के कडी पावदियों के कारण ये लोग कुछ भी नही कर पाती थी । उन्‍होने किसी मैग्‍जीन में पढा था कि अफिका की अधिकाश ऐसी महिलाये जिनकी या तो शादीयॉ नही होती या फिर पुरूषों से वंचित रह जाती है वे अपनी कामवासना की पूर्ति हेतु पेट व नाभी पर छोटे छोटे ऐसे की‍डे जिनके चलने से नाभी व पेट पर स्‍पर्श का अहसास हो उसे किसी बर्तन में रख पेट व नाभी पर उल्‍टा देती । कीडों के चलने से पेट व नाभी पर महिन स्‍पर्श का अहसास होता जो उन्‍हे चरम सुख की
अनुभूति कराता था । हॉस्‍टल की एक गर्लस ने इसे अजमाना चाहा उसने एक काकरोज पकडा पलंग पर लेट उसने अपनी नाभी पर रखा उपर से एक खोखला बर्तन पेट पर उल्‍टा दिया । काकरोज के पेट पर चलने से उसे स्‍पर्श का सुखद अहसास हुआ वह इस अहसास को कई घंटों महसूस करती रही उसने इसकी जानकारी अपनी एक सहपाठी को दिया परन्‍तु वह काकरोज से डरती थी परन्‍तु वह इस अहसास को अजमाना चाहती थी इस लिये एक छोटी सी मछली एंव एक मेडक को एक साथ नाभी पर रख पेट पर बर्तन को उल्‍टा दिया मछली के तडपने व मेडक के चारो तरफ चलने से इतना सुखद अहसास हुआ कि थोडी ही देर में उसका वीर्य निकल गया यह बात उन्‍होने अपने अन्‍य साथीयों को बतलाई उन्‍होने भी इसे अजमाया फिर क्‍या था प्राय: हॉस्‍टल की सभी लडकीयॉ इस चरम सुख की अनुभूति हेतु अपने पेट व नाभी पर इस प्रकार की कीडों को रखने लगी एंव इसका आनन्‍द उठाने लगी । कुछ युवा गर्लस ने तो यहॉ तक की अपने पेट पर चीटियॉ एंव मधुमख्‍खीयों तक को रखा उनसे कटवाया कहते है काटने पर यह सुखानुभूति कई गुना बढ जाती है ।
एक सत्‍य वार्ता : एक सत्‍य वार्ता परमिन्‍दर कौर बदला नाम इस महिला की उम्र 40 वर्ष के आस पास थी जो विधवा थी बच्‍चे भी नही थें कामवासनाओं की पूर्ति हेतु तडपती थी एक दिन बीमार पडने पर जब वह लेडीस डॉ0 के पास गई तो डॉ0 ने देखा कि उसकी नाभी व नाभी के चारों तरफ किसी कीडे मकोडे के कॉटने जैसे निशान है डॉ0 ने पूछा कि यह तो किसी कीडों के कॉटने के निशान है ,डॉ0 के कहने पर उसने अपना पेट कपडे से ढक लिया डॉ0 ने पूछा आप के कितने बच्‍चे है उसने कहॉ बच्‍चे नही है मै विधवा हूं , डॉ समक्ष गया यह निशान उसके अतृप्‍त कामवासना की वहज से है ,फिर डॉ0 के बार बार पूछने पर उसने बतलाया कि वह कामवासना की पूर्ति हेतु अपने पेट व नाभी पर चीटों को बर्तन से ढक कर कटवाती है उनके पेट व नाभी पर चलने से मुझे सुख की अनुभूति का अहसास होता है यहॉ तक कि यदि कोई चीटा मेरी नाभी के अन्‍दर कॉटता है तो मै पागल सी हो जाती हूं मेरा वीर्य निकल जाता है एंव इस समय मुझे पूर्ण संतुष्टि प्राप्‍त होती है । मैने तो मधु मख्‍खीयों तक से नाभी के अन्‍दर कटवाया है मधुमख्‍खीयों का नाभी के अन्‍दर कॉटने से मुझे पूर्ण संतुष्‍टी का अहसास होता है । क्‍योकि नाभी के अन्‍दर कॉटने से मेरे गुप्‍त अंगों में हलचल सी मच जाती है पूरे शरीर में सिंरहन सी होने लगती है डॉ0 ने पूछा आप को किसी पुरूष का साथ नही मिलता क्‍या ? उसका जबाब था हॉ मिलता है परन्‍तु उससे मुक्षे उतना आनन्‍द नही आता जितना मै नाभी व पेट पर किसी कीडे मकोडों के चलने से होता है यहॉ तक कि नाभी के अन्‍दर चीटी मधुमख्‍खीयों के कॉटने पर तो मै पागल सी हो जाती हूं मुक्षे चरम संतुष्‍टी का अहसास होता है ।
इस प्रकार के सुखानुभूति का उदाहरण यदि हो तो कमेन्‍ट कॉलम में अवश्‍य दीजियेगा ।
असामान्‍य मनोविज्ञान के इस प्रकार के और भी उदाहरण है जो हम असामान्‍य मनोविज्ञान शीर्षक में अगामी अंको में देने का प्रयास कर रहे है यदि आप के पास इस प्रकार के केश हो तो कृपया शेयर अवश्‍य करे ।

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